प्रशांत किशोर की दो बातों से बिहार की जनता असहमत
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर (PK) नई सोच और बदलाव की बात करते हैं। पढ़ा-लिखा वर्ग उनकी कई बातों से सहमत भी है, लेकिन हाल ही में उनकी दो प्रमुख बातों ने बिहार के हजारों लोगों को असहज कर दिया है।
1. शराबबंदी हटाने की वकालत
PK का कहना है कि शराबबंदी के बावजूद बिहार में अवैध शराब बिक रही है, इसलिए इस कानून का कोई मतलब नहीं है।
लेकिन आम लोग इस तर्क को स्वीकार नहीं कर पा रहे। सवाल उठता है कि –
- अगर चोरी, हत्या या अन्य अपराध पुलिस थानों की मौजूदगी के बावजूद होते हैं, तो क्या थाने ही बंद कर दिए जाएं?
- क्या किसी कानून के पालन में खामियां आने का मतलब यह है कि कानून को ही खत्म कर देना चाहिए?
बहुत से लोग मानते हैं कि शराबबंदी की मूल भावना सही है, बस सरकार को इसके बेहतर क्रियान्वयन और ईमानदार निगरानी की ज़रूरत है।
2. वक्फ बिल संशोधन का विरोध
PK ने हाल ही में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का विरोध किया।
यह कदम बिहार की बड़ी आबादी को समझ में नहीं आया।
लोगों का मानना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मूल मुद्दों पर PK को और ज्यादा सशक्त व सर्वमान्य एजेंडा रखना चाहिए था। धार्मिक या संवेदनशील विषयों पर एकतरफा रुख अपनाना उनकी छवि को कमजोर कर सकता है।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर को जनता तक अपनी बात पहुँचाने के लिए सरल, भावनात्मक और व्यावहारिक भाषा का इस्तेमाल करना होगा।
आज बिहार के हजारों लोग उनकी इन दो बातों से असहमत हैं और मानते हैं कि बदलाव की शुरुआत सकारात्मक एजेंडे से होनी चाहिए, न कि उन मुद्दों से जो जनता की भावनाओं को आहत करें।