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बाहर के खाने में किस प्रकार के गंदगी का सामना करते हैं, आइए देखें - Rewa news11

शहरों में गंदगी और स्वास्थ्य: बदलाव की आवश्यकता

एक जग पानी से पूरे दिन कप प्लेट की धुलाई, कई बार के जले तेल में डूबे भटूरे और समोसे, सल्फर वाले पानी के गोलगप्पे, एक ही चाय पत्ती से कई बार बनी चाय, डिटर्जेंट पाउडर वाला दूध, कचरे धूल वाली सड़क पर खुले कटे फलों की चाट, नाली किनारे की सब्जियां, मरे मच्छरों की चासनी में डूबी जलेबियां, नकली मावे की मिठाइयां, मुंह में भरा गुटखा सिगरेट शराब इन सभी से सामना करते हुए चुप नहीं रहना चाहिए इन चीजों में बदलाव की आवश्यकता है। 

शहरों में रहने वाले लोग जाने-अनजाने में ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं जो उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती हैं। खाने-पीने की चीजों और स्वच्छता के अभाव के कारण कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हमारे आस-पास के वातावरण में मौजूद गंदगी और अस्वास्थ्यकर आदतें इस स्थिति को और बदतर बना देती हैं। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करें।

1. खाने-पीने की वस्तुओं की स्वच्छता

  • गंदे पानी का उपयोग: एक ही जग पानी से दिनभर कप और प्लेट धोने से बैक्टीरिया फैल सकते हैं।
  • जला हुआ तेल: कई बार उपयोग किए गए जले हुए तेल में बनाए गए भटूरे और समोसे खाने से हानिकारक रसायन शरीर में पहुंचते हैं, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
  • सड़े पानी के गोलगप्पे: सल्फर युक्त पानी के गोलगप्पे पेट की बीमारियों और संक्रमण को जन्म देते हैं।
  • एक ही चाय पत्ती का बार-बार उपयोग: इससे चाय की गुणवत्ता तो घटती ही है, साथ ही स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • डिटर्जेंट पाउडर वाला दूध: यह सीधे-सीधे शरीर को विषैले तत्वों का सामना करने पर मजबूर करता है।

2. खुले में खाने-पीने का प्रचलन

  • कटे फलों की चाट: सड़क किनारे खुले में बिकने वाले कटे फलों पर धूल और गंदगी जम जाती है, जिससे पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
  • नाली किनारे की सब्जियां: दूषित पानी से उगी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होती हैं।
  • जलेबियां और मिठाइयां: मरे हुए मच्छरों से भरी चासनी में बनी जलेबियां और नकली मावे की मिठाइयां खाने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

3. अस्वास्थ्यकर आदतें

गुटखा, सिगरेट, और शराब जैसी नशे की चीजें न केवल स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि मानसिक और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करती हैं।

4. समाधान और बदलाव की आवश्यकता

इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है:

  1. स्वच्छता का पालन: खाने-पीने की चीजों को स्वच्छ और सुरक्षित बनाना सभी दुकानदारों और उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी है।
  2. सख्त कानून: नकली मावे, डिटर्जेंट वाले दूध, और बार-बार इस्तेमाल किए गए तेल जैसी चीजों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा: लोगों को जागरूक करना कि कौन-सी चीजें उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
  4. स्वस्थ विकल्प: स्थानीय स्तर पर साफ और स्वच्छ खाने-पीने की व्यवस्था को बढ़ावा देना।
  5. नियंत्रण और निरीक्षण: खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष

शहरों में रहने वाले हर व्यक्ति का हक है कि वह स्वस्थ और स्वच्छ जीवन जिए। इसके लिए हमें अपनी आदतों में बदलाव लाने के साथ-साथ गंदगी और अस्वास्थ्यकर खानपान के खिलाफ आवाज उठानी होगी। यदि हम सामूहिक प्रयास करें, तो न केवल हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि समाज को एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य भी दे सकते हैं।

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एक जग पानी से पूरे दिन कप प्लेट की धुलाई।
कई बार के जले तेल में डूबे भटूरे और समोसे।
सल्फर वाले पानी के गोलगप्पे।
एक ही चाय पत्ती से कई बार बनी चाय।
डिटर्जेंट पाउडर वाला दूध।
कचरे धूल वाली सड़क पर खुले कटे फलों की चाट।
नाली किनारे की सब्जियां।
मरे मच्छरों की चासनी में डूबी जलेबियां।
नकली मावे की मिठाइयां।
मुंह में भरा गुटखा सिगरेट शराब।

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