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MP सीएम हेल्पलाइन: जीवन रेखा से निराशा रेखा तक

एमपी सीएम हेल्पलाइन: जीवन रेखा से निराशा रेखा तक


हमारा संविधान 'हम, भारत के लोग' शब्दों से शुरू होता है। यह स्पष्ट करता है कि लोकतंत्र लोगों का शासन है और सरकार की सभी शक्तियों का स्रोत है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों के कल्याण का ध्यान रखे और उनकी भलाई सुनिश्चित करे। मध्य प्रदेश में जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे, तब उन्होंने सीएम हेल्पलाइन की शुरुआत की, जिससे छोटे और गरीब लोगों को बहुत लाभ हुआ। लोग इस हेल्पलाइन में विश्वास रखते थे और इसे अपनी जीवन रेखा मानते थे।

लेकिन, जैसे ही डॉ. मोहन यादव की सरकार आई, सीएम हेल्पलाइन की स्थिति में काफी बदलाव आया। शिकायतों के समाधान में देरी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण लोगों का विश्वास कम हो रहा है। शिकायतें दर्ज करने पर भी कार्रवाई की कमी और अधिकारियों द्वारा मजाक उड़ाना आम बात हो गई है। यह चिंताजनक है कि शिकायतें अक्सर बिना जांच के निपटाई जा रही हैं, जिससे लोग निराश हो रहे हैं।

महर के कलेक्टर, रानी बटम ने इस स्थिति पर खेद व्यक्त किया है, लेकिन जब तक प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते, तब तक इस हेल्पलाइन का कोई मूल्य नहीं रह जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग भोजन वितरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन कई बार यह समय पर नहीं होता। ऐसे में, लोगों की निराशा बढ़ती जा रही है।

अब यह जरूरी है कि प्रशासनिक अधिकारी इस स्थिति को समझें और सीएम हेल्पलाइन को पुनः प्रभावी बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो जो लोग इस हेल्पलाइन को अपनी जीवन रेखा मानते थे, वे अब इसे निराशा रेखा के रूप में देखने लगेंगे।

निष्कर्ष
सीएम हेल्पलाइन का पुनरुद्धार आवश्यक है ताकि यह फिर से लोगों की उम्मीद का प्रतीक बने। लोगों को अपनी आवाज सुनने की आवश्यकता है, और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उनकी समस्याओं का समाधान करे।

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