MP: विंध्य क्षेत्र के इस गांव में हो रही सेब की पैदावार, कश्मीर से भी मीठे, जमकर हो रहे वॉयरल...
सीधी.जिले के मझौली ब्लॉक के देवरी गांव में एक प्रगतिशील किसान की उन्नत सोंच एवं लगन के कारण सेव की पैदावार हो रही है। मड़वास के समीप देवरी महखोर निवासी वंशराखन सिंह बालेंदु द्वारा अपने घर के आसपास जो सेव के पेंड़ लगाए गए हैं उनसे काफी स्वादिष्ट सेव की पैदावार हो रही है। यह सेव स्वाद में बाजार में बिकने वाले सेव को मात दे रहे हैं। इनके यहां के सेव का स्वाद लेने वालों को सेव का असली स्वाद मिलेगा। कृषक वंशराखन सिंह बालेंदु के अनुसार खेती किसानी के कार्य में वह बचपन से ही लगे हुए थे। इस वजह से उनके मन में आया कि वह कुछ अलग तरीके से खेती करें। जिससे व्यावसायिक लाभ भी मिले। इसी सोंच के चलते उनके द्वारा 115 पेंड़ सेव की अपने घर के पीछे एवं सामने लगाए गए। करीब 10 वर्ष पूर्व उनका प्रयास रंग लाया और पेंड़ों में मीठे सेव के फल आने लगे। सेव की खेती से पूरी तरह से जुड़ चुके कृषक वंशराखन सिंह बालेंदु अब सेव के पेंड़ों की कलम भी तैयार करनें में निपुण हो चुके हैं। उनके द्वारा सेव के पेंड़ के जो कलम तैयार किए जाते हैं उसको लगाने पर कुछ समय बाद पेंड़ तैयार हो जाते हैं।
उनका कहना था कि किसी भी फल की खेती के लिए ऐसी भूमि होनी चाहिए जिसकी मिट्टी रेतीली हो। साथ ही फलदार पेंड़ जहां लगाए जाएं वहां पानी का जमाव नहीं होना चाहिए। यहां तक कि बरसात का पानी भी जल्द से जल्द पेंड़ के आसपास से निकल जाना चाहिए। इनके द्वारा सेव के साथ ही खरबूज एवं तरबूज के फलों की खेती भी की जा रही है। उनके यहां तैयार होने वाले खरबूज एवं तरबूज भी स्वाद के मामले में बाजार में बिकने वाले खरबूज एवं तरबूज को मात दे रहे हैं। दरअसल तत्कालीन कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी के अथक प्रसासों से सीधी जिले में फलदार खेती करनें को लेकर किसानों का रुझान बढ़ा था। सीधी जिले के कई किसान मशरूम, शिमला मिर्च, स्टे्रेबेरी, नींबू, आंवला, संतरा, केला, पपीता, सेव, अनार, किवी, तरबूज, खरबूज आदि की खेती में पूरी तन्मयता के साथ लगे हुए हैं। फलदार खेती करनें वाले किसानों को इससे अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है।
यह अवश्य है कि फलों की खेती करनें के लिए किसानों को काफी सतर्कता एवं सक्रियता की जरूरत है। मौसम के अनुसार फलों के पेंड़ों की देखभाल होनी चाहिए। पेंड़ों को कितनी नमी की जरूरत है इसका भी काफी ध्यान देना पड़ता है। कुछ फल तो ऐसे हैं जिनको तेज धूप मिलने से काफी नुकसान होता है। इस वजह से ऐसे पेंड़ों को ज्यादा से ज्यादा छांव मिलना चाहिए। जो किसान फलों के संबंध में बारीकी से जानकारी लेकर खेती कर रहे हैं उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है। कुछ किसान अपने फलों को स्थानीय बाजार के अलावा रीवा के बाजार में भी बेंच रहे हैं। जिससे उन्हें अच्छी कीमत भी मिल रही है। इसी वजह से ऐसे प्रगतिशील किसानों की सोंच जिले में व्यावसायिक दृष्टि से लाभदायक मानी जाने वाली फलों की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।
मड़वास अंचल के प्रगतिशील किसान वंशराखन सिंह बालेंदु ने चर्चा के दौरान बताया कि फलों की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक है। यह अवश्य है कि कोई भी फल हो उसकी खेती करनें से पहले भूमि एवं मिट्टी की विशिष्टता आवश्यक है। वह अपने देवरी गांव में जहां सेव, खरबूज, तरबूज की खेती कर रह वहां की मिट्टी उक्त खेती के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं है। फिर भी रेतीली मिट्टी की व्यवस्था वह बनाए हुए हैं। साथ ही पानी पेंड़ों के पास न रुके इसके लिए भी व्यवस्था किए हैं। उनका कहना था कि वर्तमान में वह 200 रुपए किलो की दर से स्वादिष्ट सेव के फल बेंच रहे हैं। उनके यहां से जो भी सेव का फल निकलता है उसको स्थानीय स्तर में लोगों को भी देते हैं। वहीं सीधी बाजार में भी विक्री करते हैं। वर्ष में उन्हें करीब 4 लाख रुपए का मुनाफा फलों की खेती से हो रहा है। इसी वजह से वह करीब 10 वर्षों से इसमें लगे हुए हैं। सेव की खेती को लेकर वह जिला स्तनीय गणतंत्र दिवस समारोह में 10 हजार रुपए के चेक एवं प्रशस्ति पत्र सहित सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा राज्यस्तरीय फलों की प्रदर्शनी में उनके सेव को प्रथम स्थान मिला था। जिसके लिए भी उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया था।