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First Night: शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहते है? कैसे मनाते हैं पहली रात

First Night: शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहते है? कैसे मनाते हैं पहली रात

शादी के बाद पहली रात को सुहागरात (Suhagrat) कहा जाता है। यह आज से नहीं सदियों पुराना प्रचलन है।

Shadi Ki Pahli Raat Ko Suhagrat Kyu Kahte Hai: शादी के बाद पहली रात को सुहागरात (Suhagrat) कहा जाता है। यह आज से नहीं सदियों पुराना प्रचलन है। लेकिन एक सवाल उठता है कि आखिर शादी की इस पहली रात को सुहागरात (first wedding night) ही क्यों कहते हैं। नाम तो नाम होता है फिर भी नाम के संबंध में अगर कुछ पता लगाया जाए तो उससे कई बड़े भेद खुल जाते हैं। आज हम पता लगाएंगे शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहा जाता है।

सुहाग शब्द का धार्मिक दृष्टिकोण Shadi Ki Pahli Raat

सुहाग शब्द सौभाग्य से जुड़ा हुआ है। इसी शब्द के आगे रात शब्द जोड़कर सुहागरात (suhagrat before marriage) बना दिया गया है। हम इसे सौभाग्य रात भी कह सकते हैं। हमारे सनातन धर्म में इसे बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना गया है। कहने का मतलब यह है कि वैवाहिक संस्कार के लड़का और लड़की पति-पत्नी के रूप में एक दूसरे के साथ सात जन्मों के बंधन में बंध जाते हैं। उसके बाद माना जाता है कि दोनों की किस्मत एक साथ जुडकर भविष्य के हर सुख दुख को मिलकर निर्वहन करेंगे। सुहागरात के दिन किसी तीसरे की गैरमौजूदगी में दोनों एक साथ समय बिताकर जीवन भर के लिए एक हो जाते हैं।

क्या है वर्तमान दृष्टिकोण First Night

सुहागरात (first suhagraat) के मामले में सनातन दृष्टिकोण तथा वर्तमान दृष्टिकोण से मिलाजुला है। यह बात अलग है कि मनाने और समझने तथा उसे व्यक्त करने का माध्यम अलग है। वर्तमान दृष्टिकोण पर भी नजर डालें तो पता चलता है कि पति-पत्नी विवाह के पश्चात पहली रात को बड़े रोमांटिक तौर पर व्यतीत करते हैं। एक दूसरे को समझते हैं और एक दूसरे का साथ निभाने का वचन देते देते हैं।

First Night Of Married Couple असल में यह रात दो साथियों के बीच एक समझौता होता है। प्रेम और विश्वास का इसी रात एक दूसरे को वचन देते हैं। यह रात भविष्य के आपसी संबंधों के निर्वहन की शुरुआत मानी गई है।

कैसे मनाते हैं सुहागरात Suhagrat Kaise Manate Hai

हिंदुस्तान में सुहागरात (shadi se pahle suhagrat) बड़े ही साधारण लेकिन व्यवस्थित तरीके से मनाया जाता है। एक पराई लड़की जो अपने मां बाप को छोड़कर ससुराल (shadi se pahle suhagrat) पहुंचती है वह सिर्फ और सिर्फ अपने पति के भरोसे यह कदम उठाती है। ससुराल वाले भी विशेष तैयारी करते हैं। आज भी सनातन धर्म में वर वधू के आने पर कथा पूजन होता है। इसके पश्चात रात के समय पहली बार लड़का और लड़की एक दूसरे के साथ एकांत में पूरा समय व्यतीत करते हैं। यही वह पहली रात सुहागरात कहलाती है जिसमें पति और पत्नी एक दूसरे के लिए समर्पित हो जाते हैं।

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