E4you News के माध्यम से हृदेश तिवारी ने भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने वर्तमान न्याय प्रणाली की जटिलताओं पर असंतोष प्रकट करते हुए इसे अधिक सरल और प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
हृदेश तिवारी का मानना है कि वर्तमान न्याय प्रणाली में सबसे पहले वकीलों की भूमिका समाप्त की जानी चाहिए। उनके अनुसार, वकील मामलों को अनावश्यक रूप से जटिल बनाते हैं और न्याय प्रक्रिया को उलझाते हैं, जिससे निर्णय में देरी होती है और आम जनता न्याय से वंचित रह जाती है। इसलिए, उन्होंने वकीलों की भूमिका को पूरी तरह खत्म करने का सुझाव दिया है।
इसके अलावा, हृदेश तिवारी ने अन्य सुधारात्मक कदम सुझाए:
1. स्थानीय न्याय प्रणाली का गठन:
हृदेश तिवारी का मानना है कि न्यायालयों को शहरों में वार्ड स्तर और गांवों में पंचायत स्तर पर स्थापित करना चाहिए, ताकि न्याय तक पहुंच अधिक सुलभ और त्वरित हो सके।
2. स्थानीय प्रतिनिधि बनें जज:
हृदेश तिवारी का सुझाव है कि इन न्यायालयों में न्यायाधीश की भूमिका वार्ड पार्षद और सरपंच जैसे स्थानीय प्रतिनिधियों को दी जानी चाहिए, जो समाज और लोगों की समस्याओं से भलीभांति परिचित हैं।
3. स्वैच्छिक सेवा:
हृदेश तिवारी का मानना है कि न्याय व्यवस्था को बिना सैलरी के स्वैच्छिक सेवा के रूप में संचालित किया जाना चाहिए। इससे न्याय प्रणाली का खर्च कम होगा और न्याय सेवा भावना से प्रेरित होकर दी जाएगी।
4. न्याय प्रणाली में सुधार:
हृदेश तिवारी ने यह भी कहा कि वर्तमान न्याय प्रणाली "अंधा कानून" बन चुकी है, जो जटिल और असंवेदनशील हो गई है। इसे लोकहितकारी और निष्पक्ष बनाने के लिए गहन अध्ययन और पुनर्गठन की आवश्यकता है।
हृदेश तिवारी का विचार है कि भारतीय न्याय व्यवस्था पहले कहीं अधिक प्रभावी थी और इसे फिर से लोक केंद्रित बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। आप हृदेश तिवारी को वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन में दिए गए लिंक के माध्यम से विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉलो कर सकते हैं।