इस विदेशी फसल की खेती कर कमा सकते है अच्छा मुनाफा, यह उन्नत किस्मे देती है 120 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार
इस विदेशी फसल की खेती कर कमा सकते है अच्छा मुनाफा, यह उन्नत किस्मे देती है 120 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार। देश में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है ब्रोकली उसी में से एक है बता दे की ब्रोकली की खेती कच्ची सब्जी के रूप में की जाती है . यह देखने में बिल्कुल फूल गोभी की तरह ही होती है, लेकिन यह हरे रंग की होती है ब्रोकली काफी गुणकारी सब्जी है.यहीं कारण है कि इसका शहरी बाजारों में काफी मांग रहती है और खेती करने वाले किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. जानकारी के मुताबिक ब्रोकली एक विदेशी सब्जी है लेकिन इसके फायदों के कारण भारत में भी इसे काफी पसंद किया जाता है. ऐसे में किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. तो आइये जानते है इसकी खेती और उन्नत किस्मो के बारे में..
ब्रोकली की उन्नत किस्में
ग्रीन स्प्राउटिंग किस्म: ब्रोकली की यह किस्म 80 से 90 दिन में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है| इसके पौधों में लगने वाले फल का सिरा गुंथा हुआ और गहरा हरा होता है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 120 से 150 क्विंटल की पैदावार दे देती है.
इटालियन ग्रीन स्प्राउटिंग किस्म: यह ब्रोकली की एक विदेशी किस्म है, जिसे भारत में बहुत कम उगाया जाता है. इसके पौधों में निकलने वाले फल बिल्कुल गोभी की तरह होते है,किन्तु इनका रंग हरा होता है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 100 क्विंटल की पैदावार दे देती है.
ब्रोकली की खेती की कुछ जानकारी
आपको बता दे की ब्रोकली की खेती के लिए पहले नर्सरी तैयार की जाती है और पौध तैयार हो जाने पर इसकी रोपाई की जाती है. सितंबर और अक्टूबर का महीना पौधशाला में इसकी बुवाई के लिए उपयुक्त समय माना जाता है. ऐसे में अभी आपके पास ब्रोकली की खेती के लिए तैयारी करने का पर्याप्त समय है. अगर सिंचाई की बात करें तो आम तौर पर 10 से 12 दिन के अंतराल पर ब्रोकली को पानी देना होता है. पहली दो सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई कर के खर-पतवार जरूर निकाल दें. इनकी खेती वाले खेत को साफ रखना जरूरी होता है.
जानकारी के मुताबिक इसे कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी उपज के लिए उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली रेतीली दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रोकली की खेती करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 6.5 के बीच होना चाहिए. रोपाई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी है. अगर ज्यादा पैदावार चाहते हैं तो आप 25-30 दिन पहले गोबर का खाद डाल दें. मिट्टी की जांच करा लेना ज्यादा सही रहता है. जांच में अगर किसी पोषक तत्व की कमी नजर आए तो उसे पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठाएं.