विंध्य में कांग्रेस को बड़ा झटका: रीवा के सेमरिया से विधायक रहें अभय मिश्रा ने पत्नी संग भाजपा में की घर वापसी, कहा- कांग्रेस सिर्फ सत्ता की भूखी, पार्टी भूलवश छोड़ी
रीवा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा ने पत्नी संग एक बार फिर भाजपा का दामन थामा है.
- Join whatsappरीवा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा ने पत्नी संग एक बार फिर भाजपा का दामन थामा है. 2018 में कांग्रेस ज्वाइन की और सेमरिया छोड़ राजेंद्र शुक्ल के खिलाफ रीवा से चुनाव लड़ा था.
रीवा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा ने पत्नी संग एक बार फिर भाजपा का दामन थामा है. 2018 में कांग्रेस ज्वाइन की और सेमरिया छोड़ राजेंद्र शुक्ल के खिलाफ रीवा से चुनाव लड़ा था. लेकिन यहां उन्हें 18 हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था.
अभय मिश्रा, नीलम मिश्रा भाजपा में शामिल
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय करीब आ रहा है. नेताओं का दल-बदल तेज हो गया है. इस बीच शुक्रवार को विंध्य के रीवा से अभय मिश्रा ने पत्नी नीलम मिश्रा संग भाजपा में घरवापसी की है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल में उनको पार्टी की सदस्यता दिलाई है.
2018 में भूलवश कांग्रेस पार्टी में चला गया था - अभय मिश्रा
इस अवसर पर पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने कहा कि, मैं 2018 में भूलवश कांग्रेस पार्टी में चला गया था और परंपरागत सेमरिया सीट छोड़कर रीवा से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन मुझे हार का सामना करना पड़ा. मिश्रा के अनुसार, कांग्रेस में भितरघात का कल्चर हावी है. उन्होंने कहा कि, कांग्रेस का अभी भी मकसद सिर्फ और सिर्फ सत्ता प्राप्त करना है, जन सेवा से दूर दूर तक उनका कोई नाता और मतलब नहीं है.
भाजपा ज्वाइन करते हुए पूर्व विधायक मिश्रा ने कहा, मैं यहां टिकट लेने के लिए नहीं आया हूं. मुझे कांग्रेस पार्टी सेमरिया सीट से टिकट देने का इशारा कर चुकी है और मुझे एक तरह से टिकट मिल भी गई है. लेकिन मेरा मन शांत नहीं है. मैं जानता हूं कि इस कांग्रेस में रहते हुए मैं लोगों का भला नहीं कर पाऊंगा. हमारे सेमरिया को आज तक जो कुछ भी मिला है, सब कुछ शिवराज सरकार की ही देन है. मिश्रा ने आगे कहा कि भाजपा यदि टिकट देगी तो चुनाव जरूर लडूंगा.
हाल में सेमरिया विधानसभा में भाजपा से केपी त्रिपाठी विधायक हैं. उन्होंने 2018 में निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के त्रियुगीनारायण शुक्ला को करीब 7700 वोटों से शिकस्त दी थी. लेकिन अभय मिश्रा के भाजपा में आ जाने से अब सिटिंग एमएलए केपी त्रिपाठी की टिकट को खतरा होता नजर आ रहा है.
2008 में पहली बार विधायक बनें
अभय मिश्रा रीवा ने नवगठित विधानसभा सेमरिया से 2008 में भाजपा के चुनावचिन्ह से चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्यासी लालमणि पांडेय और कांग्रेस उम्मीदवार राजमणि पटेल को शिकस्त देकर विजय हासिल की थी.
इसके बाद 2013 के चुनाव में अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा ने भाजपा से सेमरिया के लिए उम्मीदवारी की, यहां भी उन्हें निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के पंकज सिंह से लगभग 6 हजार मतों के अंतर से जीत हुई.
लेकिन 2018 में सेमरिया विधायक नीलम मिश्रा और सांसद जनार्दन मिश्रा के बीच विवाद हुआ, जिसकी वजह से अभय मिश्रा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया और कांग्रेस का दामन थाम लिया, जबकि उस दौरान अभय मिश्रा रीवा से जिला पंचायत अध्यक्ष थें.
2018 के विधानसभा चुनाव में अभय मिश्रा ने कांग्रेस के लिए रीवा विधानसभा की उम्मीदवारी की. लेकिन यहां उनका सामना भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र शुक्ल से था. इस चुनाव में अभय मिश्रा को पहली बार हार का सामना करना पड़ा.
बताया जा रहा है कि चुनाव में मिली हार के बाद से ही अभय मिश्रा भाजपा में वापसी के लिए प्रयासरत रहें. वे कांग्रेस के कार्यक्रमों से किनारा काटते रहें. अब जाकर उनकी और उनके पत्नी की भाजपा में घरवापसी हुई है.