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26 मार्च 2022 - आज का Hindi Panchang

 सुप्रभात

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -  २६ मार्च २०२२ ईस्वी 


दिन  - -  शनिवार 


  🌓 तिथि  - -नवमी ( २०:०४ तक तत्पश्चात दशमी )


🪐 नक्षत्र - -   पूर्वाषाढ़ ( १४:४७ तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़  )


पक्ष  - - कृष्ण


 मास  - -  चैत्र 


ऋतु  - - बसंत 

,  

सूर्य  - -  उत्तरायण 


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ६:२२ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १८:३२ पर 


🌓 चन्द्रोदय  - -  २६:५१  पर


🌓 - - चन्द्रास्त  - -  १२:४० पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२२


कलयुगाब्द  - - ५१२२


विक्रम संवत्  - - २०७८


शक संवत्  - - १९४३


दयानंदाब्द  - - १९८


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


🔥प्रश्न  :- क्या ईश्वर को भी सुख दुःख होता है?


💐 उत्तर  :- सुख, दु:ख, ईर्ष्या, द्वेष, इच्छा इत्यादि ये सब जीव के लक्षण है। जब आत्मा शरीर धारण करता है अर्थात् भौतिक शरीर में आता है, तब ही उसे सुख - दुःख का अहसास होता है।

 

          ईश्वर अकाय है ( यजुर्वेद ४०\८ ) उसका कोई शरीर नही है, वह निराकार है , अत: उसमें सुख-दु:ख जैसी कोई बात नहीं होती। 

           वैदिक सिद्धान्तानुसार जो कर्ता होता है, वही भोक्ता होता है ।जीवात्मा शरीर में रहते अच्छे  -बुरे कर्म करता है और कर्म का फल ( सुख - दु:ख ) भोक्ता है।  ईश्वर आनन्दस्वरूप है। वह परिपूर्ण हैं, अत: पूर्ण को क्लेश कैसा ?


  अनश्नन्नन्यो अभिचाकशीति (ऋग्वेद १\६४\२०


अर्थात परमात्मा न भोगता हुआ साक्षी है। वह निर्लेप है, सब विकारों से परे है। 


          ईश्वर को वेद में वृजन ( ऋग्वेद १\६१४ ) कहा है।  वृजन का अर्थ है जिसमें दु:ख नही होता।  परमात्मा न भोगता हुआ साक्षी है। जबकि दु:ख भोग में होता है ( ऋग्वेद १०\१६४\२० )


   अकामो धीमी अमृत: स्वयंभू रसेन तृप्तो न कुतश्चनोन:।

तमेव विद्वान न बिभाय मृत्योरात्मानं धीरमजरं युवानाम। 


   ईश्वर शरीर धारण नहीं करता, वह सर्वव्यापक है, अत: ईश्वर का शरीर धारण करना असम्भव है।  वह सदैव निर्मल है वह अविधादि जन्म-मरण , हर्ष-शोक, क्षुधा-तृषादि दोषों से रहित है। सुख-दु:ख का यह विकार ईश्वर में नही घटता।


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 🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🚩🕉️


🌷ओ३म् यत्प्रज्ञानमुत चेतो धृतिश्च यज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु।  यस्मान्न ऋते किं चन कर्म क्रियते तन्मे मन शिवसंकल्पमस्तु। ( यजुर्वेद ३४|३ )


💐अर्थ  :- जो मन उत्कृष्ट ज्ञान का साधन और अन्यों को चेताने वाला तथा धैर्ययुक्त वृत्ति वाला है, जो लोगों के भीतर प्रकाशयुक्त और नाश रहित है, जिसके बिना कोई कुछ भी कर्म नहीं कर सकता, वह मेरा मन गुणों की इच्छा करके दुर्णुणों से दूर रहे। 


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओं तत्सत्-श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्री  श्वेतवाराह कल्वे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द- षण्णवतिकोटि: अष्टक्षानि त्रिपञ्चाशत्सहस्हस्राणि द्वाविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२२ ) सृष्ट्यब्दे】【 अष्टसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७८ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल संवत्सरे रवि उत्तरायणे- वसन्त ऋतौ, चैत्र  मासे , कृष्ण पक्षे, नवम्यां तिथौ, पूर्वाषाढ़  नक्षत्रे,   -  सिंह लग्नोदये, विधाता  मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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